Wednesday, July 20, 2016

'घड़ा पाप का भर रहा' पर दो विद्वानों के मत


“ घड़ा पाप का भर रहा “ अभिनंदनीय 

+डॉ. उमा पांडेय
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“ घड़ा पाप का भर रहा “ तेवरीसंग्रह शास्त्रविधि से परम्परा का पालन करते हुए रचा गया है जिसमे सर्वजन हिताय की भावना सर्वोपरि है , इसीलिए यह कृति अभिनंदनीय है |

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'घड़ा पाप का भर रहा' पर एक प्रतिक्रिया यह भी  --------------------------------


“ घड़ा पाप का भर रहा “, फूटेगा हर हाल
अब कीचड़ में मित्रवर खिलता नहीं गुलाब ||
+हस्तीमल हस्ती 


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