“ घड़ा पाप का भर रहा “ अभिनंदनीय
+डॉ. उमा पांडेय
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“ घड़ा पाप का भर रहा “ तेवरीसंग्रह शास्त्रविधि से परम्परा
का पालन करते हुए रचा गया है जिसमे सर्वजन हिताय की भावना सर्वोपरि है , इसीलिए यह
कृति अभिनंदनीय है |
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'घड़ा पाप का भर रहा' पर एक प्रतिक्रिया यह भी --------------------------------
“ घड़ा पाप का भर
रहा “, फूटेगा हर हाल
अब कीचड़ में मित्रवर खिलता नहीं गुलाब ||
+हस्तीमल हस्ती
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